मानता हूँ मैं कि सांवला जरूर हूँ। मगर मन का मैं बिल्कुल शीशा हूँ। मानता हूँ मैं कि सांवला जरूर हूँ। मगर मन का मैं बिल्कुल शीशा हूँ।
समझे नहीं अब तक हमें, जाने कब जानोगे हम प्यार बांटते हैं, कातिल नहीं हैं हम ! समझे नहीं अब तक हमें, जाने कब जानोगे हम प्यार बांटते हैं, कातिल नहीं हैं हम !
हुआ तो कभी सूरज भी चाँद का नहीं लेकिन खुद जल के चाँद को चमकाता है...। हुआ तो कभी सूरज भी चाँद का नहीं लेकिन खुद जल के चाँद को चमकाता है...।