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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

मैं

मैं

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मानता हूँ मैं कि

सांवला जरूर हूँ।

मगर मन का मैं

बिल्कुल शीशा हूँ ।


बेदाग ओर स्वच्छ

तुरत का बना हुआ

साफ पानी से धुला

मेरा कोमल ह्रदय

आज भी तुझे ही

बस तुझे चाहता है

आजा अब बस

मैं बेताब हूँ।

मानता हूँ मैं कि

सांवला जरूर हूँ।


रंग पर जाना है तो

फि रजोखिम उठाना होगा

घुमना होगा हर जगह

न कोई ठिकाना होगा

रहता हो एक जगह

जहां-तहां भटकना होगा

तब भी ऐसा ना मिलेगा

जैसा मैं वफादार हूँ।


मानता हूँ मैं कि

सांवला जरूर हूँ।

मगर मन का मैं

बिल्कुल शीशा हूँ।


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