STORYMIRROR

Dr. Razzak Shaikh 'Rahi'

Abstract Tragedy

2  

Dr. Razzak Shaikh 'Rahi'

Abstract Tragedy

हम

हम

1 min
2.2K


रहनुमाओं की मज़लिस में शामिल नहीं हैं हम

क्या करे कुछ भी करनेके,काबिल नहीं हैं हम


क्यों याद करेंगे हमको क्यों हमको बुलाएंगे ?

चार चाँद लगाने रौनक-ए-महफ़िल नहीं हैं हम


इल्जाम हैं हम पर कि करते हैं ज्यादती

इंसां हैं सीधे-सच्चे, संगदिल नहीं हैं हम


उतर नहीं सकते खरे, उम्मीदों पर आपकी

डूबे हुए हैं खुद ही, साहिल नहीं हैं हम


समझे नहीं अब तक हमें, जाने कब जानोगे

हम प्यार बांटते हैं, कातिल नहीं हैं हम !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract