हरित क्रांति
हरित क्रांति
यारों अपना हाल अब ऐसा हो गया
अपने ही किए पर अब सिर धुन रहा।
जो सुन्दर पृथ्वी पूर्वजों ने बसाई
वो मानव ने स्वार्थ की भैंट चढ़ाई।
हरियाली तो मानो जैसे हवा हो गई
किताबों व पोस्टरों की शोभा बन गई।
प्रदूषण का प्रभाव वातावरण को खा रहा
स्वच्छ वायु, साँस लेना भी दूभर हो रहा।
अभियान चाहें हम कितने भी चलाएँ
प्रदूषण के दानव को कैसे भगाएँ !
मन को अपने इतना समझाओ
मातृभूमि को हरा भरा बनाओ।
हरा भरा होगा अगर अपना देश
हरित क्रांति से होगा खुशी का समावेश।