हर बात अच्छी लगती है
हर बात अच्छी लगती है
दिन अच्छा लगता है,
अब रात अच्छी लगती है,
इश्क में डूबी ये,
कायनात अच्छी लगती है।
कुछ भी तो बुरा,
नहीं है तुझमें,
मुझे तो तेरी हर,
बात अच्छी लगती है।
महंगी-महंगी चीजें भी,
मैंने खरीदी लेकिन,
मुफ्त में मिली मुझे ये,
खैरात अच्छी लगती है।
सुलझ गया है जब से,
मेरा उलझा हुआ मन,
अरसे के बाद हुई वो,
मुलाकात अच्छी लगती है।
अब कोई और ख्वाहिश,
नहीं इस जिंदगी से,
मुझे बस ये इश्क की,
सौगात अच्छी लगती है।
बस दो ही चीजें लाजवाब है,
मेरी जिंदगी में,
एक तू और दूसरी तू मेरे,
साथ अच्छी लगती है,
मुझे तो तेरी हर,
बात अच्छी लगती है।

