आहिस्ता आहिस्ता
आहिस्ता आहिस्ता
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गुजर गए कई साल आहिस्ता आहिस्ता
वो भूल गए बरहाल आहिस्ता आहिस्ता।
खत्म हुआ दौर ए मुलाकात का सिलसिला
नजर से हटा जमाल आहिस्ता आहिस्ता।
मेरे लबों ने ले ली उम्र भर की चुप्पी
खत्म हुआ बवाल आहिस्ता आहिस्ता।
आख़िर क्यों बदल जाता है मिजाज हर शख्स का
दिल में उठा सवाल आहिस्ता आहिस्ता।
वो तो चले गए जिंदगी से अचानक ही
जाता रहा ख्याल आहिस्ता आहिस्ता।
दर्द भरा उसी ने अब मेरी ग़ज़लों में
मोहब्बत करने लगी कमाल आहिस्ता आहिस्ता।
गुजर गए कई साल आहिस्ता आहिस्ता
वो भूल गए बरहाल आहिस्ता आहिस्ता।