Neha Yadav
Drama
रंग बिखेरे घर आंगन में
खुशियों का संजोग बना
होली मनभावन त्यौहार
सबके मन को भायी
पावन अवसर की बेला में
सबको स्नेह हजार मिले।
यादों की बारि...
देशहित में
घर छोड़ जाने क...
मकाम हैं हम
मैं तुम का भे...
सच्चाई
वो पहली मुलाक...
विश्वास
संवेदनशील नार...
जीवन सूना सूना लगेगा। हरियाली ही है धरा का श्रृंगार। जीवन सूना सूना लगेगा। हरियाली ही है धरा का श्रृंगार।
नहीं इलाज मर्ज़-ए-इश्क़ का किसी दवाई में। नहीं इलाज मर्ज़-ए-इश्क़ का किसी दवाई में।
कितना रोका वो ही नहीं, शायद मेरा था ही नहीं। कितना रोका वो ही नहीं, शायद मेरा था ही नहीं।
एक दूसरे के लिए जिये इसी को ही प्यार कहते हैं। एक दूसरे के लिए जिये इसी को ही प्यार कहते हैं।
कोई सारी उम्र भीगने को तैयार है, तो कही किसी को बारिश थमने का इंतज़ार है। कोई सारी उम्र भीगने को तैयार है, तो कही किसी को बारिश थमने का इंतज़ार है।
अगर हिम्मत हो तो ही किसी को अपना बनाना। अगर हिम्मत हो तो ही किसी को अपना बनाना।
खरीद सको, तो खरीद लो, अब तो दुनिया में सब बिकता है। खरीद सको, तो खरीद लो, अब तो दुनिया में सब बिकता है।
प्राप्त करने के लिए, ताकि वह; लिपट सके अपनों के बीच...! प्राप्त करने के लिए, ताकि वह; लिपट सके अपनों के बीच...!
शून्य में निकली चीखें कभी भी बाहर नहीं सुनाई देतीं कभी भी नहीं। शून्य में निकली चीखें कभी भी बाहर नहीं सुनाई देतीं कभी भी नहीं।
इतने धोके खा कर अब ये दिल किसी पर भरोसा करेगा नहीं। इतने धोके खा कर अब ये दिल किसी पर भरोसा करेगा नहीं।
बीते पलों में पाते है तुम्हें, बस अब पहले जैसे हालात नहीं। बीते पलों में पाते है तुम्हें, बस अब पहले जैसे हालात नहीं।
दो दीवाने शहर में, रात में या दोपहर में आबु दाना ढूँढते है आशियाना ढूँढते है। दो दीवाने शहर में, रात में या दोपहर में आबु दाना ढूँढते है आशियाना ढूँढते है।
यहां नजदीकियों में कैसी दूरी है, ना जाने कितने किस्से कहानी आज भी अधूरी है। यहां नजदीकियों में कैसी दूरी है, ना जाने कितने किस्से कहानी आज भी अधूरी है।
देख मैंने कभी तेरे, सितम के खिलाफ बगावत नहीं कि।। देख मैंने कभी तेरे, सितम के खिलाफ बगावत नहीं कि।।
लबों पे उसकी छुअन का, एहसास अब तक है लबों पे उसकी छुअन का, एहसास अब तक है
बस रह-रह के, वजह-बेवजह न कभी भी याद आया कर। बस रह-रह के, वजह-बेवजह न कभी भी याद आया कर।
कि क्या सच है क्या झूठ फर्क नहीं पड़ता अब " तुझसे " कि क्या सच है क्या झूठ फर्क नहीं पड़ता अब " तुझसे "
उसकी यादों को गले लगा बगल में मैं सुला लेता हूँ। उसकी याद आती है तो मैं सो जाता हूँ। उसकी यादों को गले लगा बगल में मैं सुला लेता हूँ। उसकी याद आती है तो मैं सो जाता ...
ना जाने कहां जा रहे हैैं हम, ना जाने कहां जा रहे हैैं हम। ना जाने कहां जा रहे हैैं हम, ना जाने कहां जा रहे हैैं हम।
कुछ तजुर्बा कुछ लम्हे दे गए, तुम जाते जाते कई सबक दे गए। कुछ तजुर्बा कुछ लम्हे दे गए, तुम जाते जाते कई सबक दे गए।