हमें ना जाने क्या हो गया है।
हमें ना जाने क्या हो गया है।
हमें ना जाने क्या हो गया है,
दर्द भरी हैं रातें, और दर्द भरे हैं दिन,
ना कुछ खाता हूँ और ना कुछ पीता हूँ,
बस उसी की यादों में खोया रहता हूँ।
कभी कहाँ, तो कभी कहाँ,
हमें नहीं पता हम जाते हैं कहाँ,
निकलते है सवेरे, लौटते है शाम को,
जाने कहाँ है मंज़िल, जाना कहाँ है हमको।
गलियों में घूमकर, नुक्कड़ से चलकर,
आ जाता हूँ वहाँ, प्यार में मिलते थे जहाँ,
बिछुड़ के भी ना बिछुड़े, ऐसी यादें हैं यहाँ,
ऐसी यादें हैं यहाँ।।

