हमारा विद्यालय,वि.के.वि. खटखटी
हमारा विद्यालय,वि.के.वि. खटखटी
एक दिन इतिहास रचेगा
हमारा विद्यालय...!
कल के सुनहरे भारत का
भविष्यनिधि विकसित करने की
जो हमनें ठान लीं...
हम हरेक शिक्षार्थी में
आत्मनिर्भरता का संचार करने को
अपना कर्मयोग मानकर चलते हैं...
हमारी राहों की मुसीबतों को
पार करने की -
कुछ उमदा करने की
जो हमने ठान लीं...
वो एक दिन ज़रूर
सफल होगा !
यहाँ की रोजमर्रा की
छोटी-छोटी दिक्कतें...
कभी पानी की किल्लत,
तो कभी बिजली की...
यहाँ एक तरफ अगर
सामयिक अनिश्चितता है,
तो दूसरी तरफ
हमारे प्राचार्य महोदय,
श्री सुबास कुमार वर्मा जी की
प्रेरणादायक सकारात्मक सोच
और हम सबका पूर्ण सहयोग
निस्संदेह हमारे विद्यालय को
असम के कार्बी आंगलांग जिले में
आगंतुक समय में
एक स्वनामधन्य विद्यालयों की
विशेष सूची में
सगर्व स्थान प्रदान करेगा !
यही आत्मविश्वास है हमारा...
ऐसे ही कल के सुनहरे भारत के
आत्मनिर्भर भविष्यनिधि (शिक्षार्थियों) को
हम देशहित-जनहित में उत्सर्ग करने को
अपना परम् ध्येय मानते हैं।
हम अपने विद्यालय को किसी भी
सूरत-ए-हाल में उन्नत करने में
स्वयं को संकल्पबद्ध करते हैं...!
हमें इस बात का भी इल्म है कि
निस्वार्थ त्याग एवं तपस्या के बिना
पुरुषार्थ नहीं मिलता ;
ठीक वैसे ही एक
दूरदर्शी दृष्टिकोण
क़ायम रखने में
हमें साथ मिलकर
इस समाज को एक सही
दिशा दिखाना है...!
आज के उद्यमी शिक्षार्थियों को
प्रेरित करने के लिए
हमें स्वयं को भी
सुसंगठित करना है :
समर्थ बनाना है...!!
ये देश तभी आगे बढ़ेगा,
जब हम सब
हाथ-से-हाथ मिलाकर,
दिल-ओ-जाँ से
अपना कर्तव्य निभाएंगे,
न कि शिकायतों का
बोझ डालेंगे...।
जब हमारे शिक्षार्थी
इस विश्व में
अपनी प्रतिभा का
परचम लहराएंगे,
तब हम सहर्ष खड़े होकर
उन्हें अपना आशीर्वाद देंगे...!!!
हम तो माननीय एकनाथजी रानाडे जी के
नक्श-ए-कदम पर चल रहे हैं,
जिन्होंने असम के
तिनसुकिया जिले के
लाईपुली नामक स्थान पर
१८ अगस्त, १९७६ को
अपने सफल मार्गदर्शन
एवं नेतृत्व द्वारा
"विवेकानंद केंद्र विद्यालय' के
"भूमि-पूजन" एवं "हवन" के समय
उपस्थित रहकर सर्वप्रथम विद्यालय की
संरचना की थी,
जिसकी विजय पताका आज भी
लहरा रहा है...!!!
आज इस 'अमृतकाल' में
हमारा विद्यालय "वि.के.वि., खटखटी" भी
इस देश को विश्वगुरु के
सर्वोच्च स्थान पर
उन्नत करने में
अपना पूर्ण योगदान दे रहा है...।
हम सब भी अनुशासन एवं
'आध्यात्मिक' मनन-चिंतन से
इस देश की 'सांस्कृतिक विरासत' को
आगे बढ़ाने में अपना हर संभव
प्रयास कर रहे हैं...।
हाँ, हम तो स्वामी विवेकानंद जी के
परम् अनुयायी हैं, जिन्होंने
'प्रबुद्ध भारत' का सुनहरा सपना देखा था...!
चलिए, हम सब 'विवेकानंद केन्द्र' को
उन्नति के शिखर पर ले जाएँ...!!
चलिए, हम सब अपने विद्यालय को
राष्ट्रीय चेतना का स्रोत बनाएँ...!!!
चलिए, हम मानव-कल्याण
एवं राष्ट्र-निर्माण को
अपना परमार्थ बनाएँ...!!!