आँसू आते हैं क्षण भर
आँसू आते हैं क्षण भर
कोई आँखों से,
जब विलुप्त होता
कैसा दिल,
कूद- कूद उछलता !
तुम पूछ लो उनके दर्द
कैसे रोते हैं।
आँसू नहीं आँखों से,
लहू गिरते हैं।
बात चाहे बहुत दिनों की हो,
या क्षण भर
परेशानियाँ आती हैं
आँखें बिलख - बिलखकर रोती हैं।
सूझता नहीं कुछ
दर्द गूँज- गूँज रहता
बहुत से लोग छुपाते हैं
पर आँसू जमीं पर गिरता!
बस उन्हीं को मालूम होता
साये ही साये नज़र आते हैं,
चारों तरफ!
दर्दों में गुनगुनाते
सभी को होता हैं
ऐसी परिस्थितियों में,
आँसू दर्द को धोता है
जब कहीं चले जाते हैं
अपना प्यार उड़कर
आँसू आते हैं क्षण भर।
