किस्मत का खेल...
किस्मत का खेल...
अब तो इस दुनिया में देखो
क्या क्या होता है खेल,
सब अपने अपने स्वार्थ में अंधे
कहते है, किस्मत का खेल।
जबतक थे सब अपनों के साथ
बिताए वो सबसे हसीन पल,
अब अपने भी पराए हों गए
इसे मानते किस्मत का खेल।
माता पिता जब साथ रहते थे
मिला उनकी दुआओं का फल,
जब वो इस दुनिया छोड़ चले
बिगड़ गया किस्मत का खेल।
जब अपने खुद की दुनिया बनाए
भूले सब बीते हुए पल,
मोह माया में घिर गए है
बदल दिए किस्मत का खेल।
भूल गए प्यार मोहब्बत की भाषा
नहीं सुख चैन कोई मेल,
रिश्ते नाते की कोई कदर नहीं
अब ये किस्मत का खेल।
अब तो कुछ समझने होंगे सबको
कैसे बिताना बाकी के पल,
अपनी सोच को थोड़ा बदलना होगा
अच्छे होंगे किस्मत का खेल।