जागो अपने अधिकारों को पहचानो
जागो अपने अधिकारों को पहचानो
अपने आप को अबला ना समझो।
तुम तो शुरू से ही सबला थीं और आज की नारी तो सशक्त भी हो गई हो।
अपने अधिकारों को पहचानो उनका हनन ना होने दो।
जहां तुम्हारे अधिकारों का हनन हो,वहां अपनी आवाज को ना दबने दो।
तुम पढ़ी लिखी हो तुम समझदार हो।
तुम नौकरी दार हो।
नौकरी ना करो तो भी क्या हुआ तुम एक अच्छी गृह लक्ष्मी हो।
अपने महत्व को पहचानो
और समझाओ।
ना समझे कोई तो अपना रौद्र रूप दिखाओ।
क्योंकि सदियों से नारी की महत्वता को कम आंका गया है।
और नारियों ने यह सब चलाया है।
अब जमाना नया आ गया है। महिला सशक्तिकरण का जमाना है।
अगर तुम अपने आपको सशक्त मानोगे।
तभी तो लोग तुम को सशक्त मानेंगे।
साम दाम दंड भेद सबसे काम लेना ही पड़ेगा।
नहीं तो लोग तुम्हारा गलत फायदा उठा जाएंगे।
तुमको बेचारी समझकर काम में झोंक देंगे।
अबला नारी समझकर अत्याचार करेंगे।
और तुम कुछ नहीं कर पाओगे।
आवाज़ तुम्हारी दब कर रह जाएगी।
"गुजराती में एक कहावत है जे बोले तेना वटाणा वेचाय"
इसीलिए कहती है विमला प्यार अपने आप से करो ,फिर दूसरों से करो।
अपना महत्व समझो और समझाओ।
ना गलत करो ना गलत सहन करो।
क्योंकि दोनों ही गुनहगार होते हैं।
दूसरों की जय से पहले अपनी जय करो।