हम सब निकले पिकनिक पर
हम सब निकले पिकनिक पर
जब से हुए स्कूल बन्द हैं और कोरोना का माहौल
खेल के मैदानों में अब बच्चों की किलकारी न गूँजे।
गलियाँ सूनी, रस्ते सूने और सूने हुए बाज़ार
बंद रहें सब घर के अंदर, रुक गई है रफ्तार ।।
गई दिवाली बीती होली, पर दिखता न कोई आसार
घर के अंदर मना रहें हम अब तो अपने सारे त्यौहार।
कमरे में बैठा मुन्ना खोया पिछली पिकनिक की यादों में
जब पूरे परिवार के संग हम गए थे पिछले जाड़ों में।।
सुबह सवेरे उठ कर जल्दी हो गये सब के सब तैयार
मुन्ना-मुन्नी, पापा-मम्मी निकले पिकनिक पर लेकर अपनी कार।
नर्म मखमली धूप का था वो कितना प्यारा मौसम
बड़ी सुहानी हवा बह रही मन को अंदर से छूती।।
सबसे पहले चिड़ियाघर फिर बोटिंग की बारी आई
सैर-सपाटा मस्ती करते दिन बीता कब शाम हुई।
जाने कितने खेल भी खेले और मिलकर गाए गाने
ऐसे ही हर छुट्टी में वो अपना समय बिताते,
कभी तो पिकनिक, कभी पार्क और कभी घूमने जाते।।
बंद हुआ है अब तो ये सब, आयी कैसी मजबूरी है
कोरोना के डर की वजह से घर में रहना जरूरी है।
माना कि मुश्किल वक्त अभी है, पर ये भी बीत ही जायेंगे
फिर अपने परिवार मित्र संग बाहर घूमने जायेंगे।।