सच
सच
खामोश दुनियाँ है
पर दिल में शोर है
कल तल्क थे सब कुछ हम
लेकिन आज कुछ और है
कड़वा सही पर सच तो है
स्वार्थ में भरा तेरा रिश्ता है
झूठी हमदर्दी दिखाने वाले क्या
ये तेरा नया खेल है
रूबरू करा दे जो जिंदगी से
उसकी बातों मे ज़ोर है
कल तल्क जिसकों अपना कहते
वो निकला कोई और है
सच, आसानी से टिक ना पता
पर झूठ में बहुत ही ज़ोर है
लगाव दिखाते जाने कितने
सच्चा हितेसी कोई और है
बिन किए सब आदर पाते
निक्कमों का ही दौर है
ईमानदार खड़ा रहे देखता
मलाई खाता वो जिसके मन में चोर है।