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Dheeraj Sarda

Drama Romance

5.0  

Dheeraj Sarda

Drama Romance

हम पे ये इल्ज़ाम ना हो

हम पे ये इल्ज़ाम ना हो

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वो मौसम भी कुछ खास नहीं,अगर तुझ जैसा गुलज़ार ना हो,

वो महफ़िल भी मज़ेदार नहीं,अगर ज़िक्र तेरे रुखसार ना हो।

वो सूरज भी कहीं थम जाये,जो तेरी बातों से मेरी शाम ना हो,

वो मधुशाला सूखी पड़ जाये,जो तेरे आँखों के दो जाम ना हो।


हाँ गुनाह है मेरा तुम्हें तकने का,पर हम पे ये इल्ज़ाम ना हो,

अब हुस्न खुदा ने बख्शा है,तो कैसे कोई बर्बाद ना हो।


वो हवायें भी रूखी लगे,जो तेरी खुश्बू से लबरेज़ ना हो,

इस दिल को फिर चैन नहीं,जो तेरी बाहों की सेज़ ना हो।

वो रात अंधेरी हो जाये,जो मेरे चाँद का दीदार ना हो,

मेरी आँहे ठंडी पड़ जाये,जो तेरे हुस्न की सरकार ना हो।


हाँ गुनाह है मेरा तुमसे मोहब्बत का,और हम पे ये इल्ज़ाम भी हो,

हम तो लुट चुके तेरे प्यार में,तू भी थोड़ा बर्बाद तो हो।


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