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शशि कांत श्रीवास्तव

Romance

4.5  

शशि कांत श्रीवास्तव

Romance

हम अजनबी क्यूँ

हम अजनबी क्यूँ

1 min
335


कब तक रहेंगे हम 

अजनबी की तरह 

एक छत के नीचे


दशक बीत गये

रहते रहते 

अजनबी की तरह

एक छत के नीचे


तुम उधर अकेली 

मैं इधर अकेला 

एक छत के नीचे 

सफर जिंदगी का

ढोता रहा 


रख पोटली

यादों की संग अपने 

सिराहने के नीचे 

उसे आँसुओं से

भिगोता रहा 

     

संग रजनी के

कब तक रहेंगे हम,

अजनबी की तरह

ख़्वाबों में तुम मेरे

आती थी रोज 


पर मैं न आता

कभी ख़्वाब में तेरे 

आते हैं दिन-रात

जीवन में सबके 

बताने को कि

दिवस एक कम हो गया 

जिंदगी का


बैठ देहरी पर ,

करता हूँ इंतजार

रोज तेरा 

जला एक दीपक

तेरे प्यार का 

कि आओगी 

तुम पास मेरे 

इक दिन कभी


तोड़,बंदिशें सारी

बीच की हमारी 

कब तक रहेंगे हम

अजनबी की तरह


कदम एक चलते हैं हम 

पास आने को तुम्हारे

कदम एक तुम भी चलो 

पास आने को हमारे 


क्योंकि

साँझ जीवन की

ढल रही है अब 

हमारी तुम्हारी 

सफ़र कब खत्म हो

किसका सफ़र में


आ पास बैठ हमारे जरा 

भुलाकर के सारे

गिले शिकवे हमारे 

कब तक रहेंगे

इक अजनबी की तरह हम 

एक छत के नीचे।


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