हिंदी और हिंदुस्तान
हिंदी और हिंदुस्तान
हिंदी भाषा मां कहलाती,सात सुरों में राग सुनाती,
गीत भजन से यूं हँसाती,बिंदी माथे परे लग जाती
मधुर मधुर स्वर व्यंजन,देव कहलाते दुख भंजन,
विभिन्न भाषाएं करे क्रंदन, हिंदी को मानो चंदन।
देख कभी तो लो बोल,आगे यहां पृथ्वी है गोल,
बातें हिंदी की ले तोल,हर शब्द लगता अनमोल।
सहज सरल सीखेंगे, हिंदुस्तान हम सब दिखेंगे,
नहीं बोलने से झीखेंगे,आओ अब हिंदी सीखेंगे।
लुभा रही है आज मन,कहाती है प्यारी हिंदी,
सज रही है आज खूब,ज्यों माथे की हो बिंदी।
सबसे प्यारी लग रही, मन को कर देती विभोर,
बोल बोलकर देख लो, नहीं करती कभी बोर।।
विदेशी जब आते हैं,सीखते देश में बस हिंदी,
हँसते गाते वो सीखते,मात्रा,व्याकरण की बिंदी,
हर देश ने माना इसको, हिंदी दिल हिंदोस्तान,
भाषा हिंदी में ले आनंद,सज्जन जन या शैतान।
हिंदी लजीज भाषा लगे,बोल बोल देखों आज,
इतनी मधुर यह लगती,हर जन को होता नाज।
हिंदी हमारी मातृभाषा, अमृतमय कहाती आज,
हिंदी में पढ़-लिख लो,एक दिन करोगे यूं राज।
हिंदी माथे की बिंदी, करते इसको हरदम याद,
काम सफल सब हो जाये, यही होती फरियाद।
कितने जन बोल रहे,अंग्रेजी में करते मिले बात,
हिंदी को जनाब बोलिये,अच्छे बनते हैं हालात।
हिंदी मन को लुभा रही, कहते आये हैं लोग,
अंग्रेजी के मोहपाश का, लगा हुआ एक रोग।
सहज सरल बनकर रहो, हिंदी से करो प्यार,
लिखो पढ़ो हिंदी में अब, जहां में होगा राज।।
हिंदी से नहीं दूर हो, चाहे मिले कष्ट हजार,
हिंदी से प्रेम करो, मिले जन जन का प्यार।
हिंदु और हिंदुस्तान, कमा रहे हैं जग में नाम,
हिंदी होती मन की भाषा, ये होती जग धाम।।