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saru S

Romance Inspirational

4.5  

saru S

Romance Inspirational

है इश्क़ अब ताजिराना कैसा

है इश्क़ अब ताजिराना कैसा

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है इश्क़ अब ताजिराना कैसा 

बदल गया है ज़माना कैसा


ये ज़िंदगी है उधार की तो 

किसी को अपना बनाना कैसा


अगर न आए तुम्हीं इधर तो 

ज़माने भर को बुलाना कैसा

 

उन्हें ये ज़िद है कि मुस्कराओ 

बिना ख़ुशी मुस्कुराना कैसा


जो हाल अपना सुना न पाए 

इधर उधर की सुनाना कैसा 


सजाओ गुलशन ख़िज़ाओं में भी 

बहार में गुल खिलाना कैसा


 अभी अंधेरे हैं बस्तियों में

 नज़र पे चश्मा लगाना कैसा


 न हो अगर इख़्तियार ख़ुद पर

 किसी पे हक़ मालिकाना कैसा


है ये लड़ाई अना की केवल 

इसे बढ़ाना घटाना कैसा


 ये दिल संभलने में ही न आया 

लगाया तुमने निशाना कैसा।


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