गरीब का मजाक
गरीब का मजाक
किसी गरीब का मजाक उड़ाना
खुद,खुदा को ही होता है,सताना
यह वैसे ही है,जैसे किसी फूल को,
एकसाथ कई,कर से मसल जांना
किसी फूल को,बस यूंही दफनाना
ओर फिर जोर-जोर से मुस्कुराना
जैसे उन्हें मिल गया,कोई खजाना
गरीब सताकर खुद को महकाना
यूँही किसी का मजाक न बनाना
एक पत्थर तोड़ देता,शीशा जाना
कभी-कभी चींटी छीन ले लेती है
गज जिंदगी सांसो का ताना-बाना
जो थोड़ी हल्दी से पीले होते,बाना
वो बहुत जल्द ही फट जाते,पाना
किसी गरीब का मजाक न उड़ाना
यह बहुत ही बड़ा पाप का है,गाना
वो मय भी छोड़ देती है,मयखाना
जो उसको देते है,रोज-रोज ताना
एकदिन महंगा पड़ता,उन्हें ज़माना
जो गरीब को सताने का ढूंढे,बहाना
क्योंकि आदमी है,सामाजिक नाना
किसी से पड़ सकता काम,दो आना
सुनो साखी बात,सब लोग सुज़ाना
जो न बनाते किसी की मजाक नाना
गरीबों की जो भी मदद करते,रोजाना
खुदा भर देता उनके घर का खजाना
गरीब दुआओ में है,ख़ुदा का ठिकाना
गरीब को साखी तू जरूर ही मनाना
दुआओं से खुलेगा बंद क़िस्मत ताला
महक जायेगा,पतझड़ में तेरा जमाना
यूँ ही किसी का दिल तू मत दुःखाना
सब में एक सांस का आना और जाना।