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Bhavna Thaker

Tragedy

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Bhavna Thaker

Tragedy

गज़ल

गज़ल

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दिल में ख्यालों का सैलाब उमड़ आया क्यों है,

मोहब्बत में डूबकर ये खेल ही रचाया क्यों है।


मालूम कहाँ था दर्द की गर्दिश है नाम इश्क का,

सपनो का सुंदर जहाँ तसव्वुर में बसाया क्यों है।


ना तू हमसफ़र ना जान ए मेहबूब मेरा आखिर, 

मैं दीवाना पागल तुमसे दिल लगाया क्यों है।


अंजाम ए मोहब्बत पर मेरे हँसता है जहाँ सारा

संगदिल तूने इश्क का इशारा दिखाया क्यों है।


निगाहों से अश्कों के आबशार सूखते ही नहीं,

जो पूरा ना हो ख़्वाब आँखों में सजाया क्यों है।


खता उसकी नहीं दिल हमारा ही तलबगार रहा,

बनाकर खुदा इबादत में उसे बिठाया क्यों है।


देखना उसका कनखियों से हमें तौबा वल्लाह,

न थी हमसे मोहब्बत खामखा सताया क्यों है। 


कह दो जाकर खुदा से कोई इश्क जानलेवा है,

मिट्टी के शरीर में शीशे का दिल बनाया क्यों है।


इश्क की आग है बड़ी ज़ालिम कौन बच पाया है,

दिल के भोलेपन ने भावना को झुकाया क्यों है॥


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