गीत
गीत
नज़रें चुरा के नज़रें मिलाना
दिल की बात को नज़रों से कह जाना
बताओं कहां से सीखा है तुमने ओ जानाॅं
हमें क्यों नहीं आता हैं ऐसे बाते बनाना।।
अगन ये हमारे दिल में लगाना
चारो पहर रहता ये दिल तुम्हारा दीवाना
चाहत बड़ा के कहाँ छुप जाती हो जानाॅं
नज़दीक आओ तो तुमको बताए दिल का फ़साना।।
ख़्वाबों में आ कर नज़रों से वार करना
करवटें बदलता हैं रात भर ये मस्ताना
जगा कर मुझे चुुपके से हंसती हो जानाॅं
हकीकत में आओ तो सुनाए बेचैनियों का तराना।।
नज़रें चुरा के नज़रें मिलाना
सीखा कहाँ से तुमने पागल बनाना...

