STORYMIRROR

Sonam Kewat

Tragedy Action

4  

Sonam Kewat

Tragedy Action

घरलक्ष्मी या धनलक्ष्मी

घरलक्ष्मी या धनलक्ष्मी

1 min
289

जैसे ही बेटे की शादी पड़ गई 

घर में मानो जश्न मनाया गया 

दूर दूर के लोग बधाई दे रहे थे 

लोगों को दावत पर बुलाया गया


कह रहे थे घर वाले की अब 

हमारी किस्मत बदलने वाली है 

आखिरकार अब हमारे घर भी 

एक लक्ष्मी आने वाले हैं 


लड़केवालों की खुशी का ठिकाना नहीं 

दिन गिन कर इंतजार कर रहे थे 

लड़की वालो नींद उड़ गयी थीं 

वो बेटी को खूब प्यार कर रहे थे 


शादी हो गई काफी धूमधाम से

अब घर की लक्ष्मी घर आईं

लड़के वालों का मुंह फूल गया 

कि ये धन लक्ष्मी क्यों नहीं लाई?


दहेज के जो मांग रखी गई थी

वो लड़की वाले देने में चूक गए थे 

पगड़ी की लाज बचा रहे थे और 

सर सबके सामने झुक गए थे 


कुछ साल साल बीत गए यूं ही

लड़की ने खुद को जला लिया 

लोग वजह पुछने लगे तो 

उन्होंने उसे कुलक्ष्मी बता दिया 


कई दिनों बाद एक रिश्ता आया 

थाली में धनलक्ष्मी सजा रखा था 

बैंड बाजे बज रहे थे जोरों से

सोने-चांदी का कतार लगा था


खुश है लड़केवाले कुछ ऐसे

जैसे आज ही उनकी दीवाली है 

गले लगा कर कहने लगे कि 

मुबारक हो धन लक्ष्मी आने वाली है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy