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Kajal Manek

Fantasy Others

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Kajal Manek

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घर

घर

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पुरुष बनाता है मकान,

उसे घर तो औरत बनाती है,


जानती है कि ये घर भी उसका नहीं है,

बाबुल के घर की तरह ये भी उसकी संपत्ति नहीं है,

फिर भी अपने हाथों से घर के हर कोने को संवारती है,


हर कोना सजाती है,

पति की जितनी कमाई हो उसमें घर चलाती है,

हां मकान को घर एक औरत ही बनाती है,


बेटियां हों तो घर में चहकती हैं,

उनके बिना घर भी होता है सूना,

बेटियां भी सजाती हैं बाबुल के घर का हर कोना,


फिर क्यों वो घर छोड़कर एक दिन जाना है पड़ता,

जिस घर के हर कोने को अपने हाथों से सँवारा था,

जहां की हर चीज़ को बिटिया ने अपना माना था,


बाबुल का घर ही क्यों नहीं हो सकता

ज़िंदगी भर के लिए उसका अपना,

क्यों आज भी हर लड़की के लिये

ये बन के रह गया है एक सपना,


बिटिया ही तो घर को घर बनाती है,

अपने बाबुल का घर भी प्यार से अपने हाथों से सजाती है।



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