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Dr. Madhukar Rao Larokar

Tragedy

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Dr. Madhukar Rao Larokar

Tragedy

घर की शान

घर की शान

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नन्हा बच्चा जब रात, भर रोये

पिता की आंखों, से नींद ऊड़ाये।

माँ बारंबार उसकी, नज़र उतारे

बड़ा होकर वही, उन्हें आश्रम छोड़ आये।।


शिक्षा के लिए, बेटा बाहर जाये

खानपान की चिंता, माँ को सताये।

परिवार छोड़ माँ, बेटे के साथ जाये

बेटा माँ का साथ, बुढ़ापे में छोड़ जाये।।


माँ बाप बेटे, के पसंद की

नौकरी वाली बहू, घर लाये।

बहू को बूढ़े, फूटी आँख

ना भाये, बेटा देखता रह जाये।।


नाती घर आने पर, माँ बाप

सानंद बेटे बहू को, गले लगाये।

पोता बड़े होने पर, माँ बाप को

कष्ट दे, बूढ़ों की, सांसें बंद हो जाये।।


इतिहास है गवाह, जो जैसा करता

जीते जी, वैसा वे पाते।

वृद्ध परिजन होते, घर की शान

जो मानते वे, दुख कभी ना पाते।।



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