घनी अंधेरी रात में
घनी अंधेरी रात में
घनी अंधेरी रात में,
जुगनूओं की बारात पेश करता हूँ !
पतझड़ों के इस मौसम में,
बहार पेश करता हूँ !
सूखे रेत से भरे रेगिस्तान में,
हिमालय सा पहाड़ पेश करता हूँ !
दिलों के इस मेले में,
मोहब्बत के चंद अल्फाज़ पेश करता हूँ !
मत हो तुम उदास इतना,
मैं गुलाब पेश करता हूँ !
आज सूने आसमान में ,
सितारों का ताज पेश करता हूँ !
तुम्हारे दिल के कब्रिस्तान में,
आज एक लाश पेश करता हूँ !

