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Vivek Agarwal

Romance

4.5  

Vivek Agarwal

Romance

ग़ज़ल अगर मैं कहूँ तो

ग़ज़ल अगर मैं कहूँ तो

1 min
355



कभी फिर मिलोगे अगर मैं कहूँ तो।

भुला सब सकोगे अगर मैं कहूँ तो।

अधूरी रही बात उस दिन हमारी,

अभी तुम सुनोगे अगर मैं कहूँ तो।

बताया नहीं छोड़ कर क्यों गए थे,

कभी कुछ कहोगे अगर मैं कहूँ तो।

लिखे खत हजारों जो भेजे नहीं थे,

वो खत अब पढोगे अगर मैं कहूँ तो।

नहीं तोड़ सकता यकीं मैं तुम्हारा,

भरोसा करोगे अगर मैं कहूँ तो।

अभी तक खुले हैं दरीचे दिलों के, 

जरा झाँक लोगे अगर मैं कहूँ तो।

बढ़ा दूँ तेरी ओर मैं हाथ अपना, 

कदम दो चलोगे अगर मैं कहूँ तो।

है अपना पुराना मेरे पास फोटो,

निशानी रखोगे अगर मैं कहूँ तो।

नहीं कोइ दूजा मेरे दिल में अब तक,

मेरे तुम बनोगे अगर मैं कहूँ तो। 


 


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