गांव का खिलता चाँद
गांव का खिलता चाँद
गांव का खिलता चाँद
दरख्त में छुपता चाँद
जब भी बहती ठंडी हवा
जर्द पत्तो की आवाज सुनता चाँद
सर्द लम्हे लिए बैठा चाँद
रातों में नग्मे गाता प्यारा चाँद
नदी के दर्पण में
अपने ही वजूद को निहारता चाँद
जुगनू के साथ साथ
और भी रोशन होता चाँद

