फ़ासले हमारे बीच
फ़ासले हमारे बीच


हैं जो ये फ़ासले हमारे बीच, आज तुम मिटा दो
छाए हैं जो जुदाई के बादल, अब इसे हटा दो
कब से बंजर हो गई है, ये मेरे दिल की ज़मीं
वो इश्क़ की बारिश फिर से वापस मुझे लौटा दो
बुझती नहीं है अब, ये मेरे सूखे होठों की प्यास
तरबतर हो जाऊँ, ऐसी एहसास की नमी लुटा दो।