एलियन !!! मैं भी !!!
एलियन !!! मैं भी !!!
कभी-कभी मैं यह सोचती हूं
मैं स्त्री हूं या एलियन
कभी-कभी लगता है
मैं एक स्त्री
क्या इस ग्रह की प्राणी हूं?
मुझ संग होता व्यवहार ऐसा
जैसे मैं एक इंसान ना होकर
एलियन हूं
लगता ऐसे जैसे
सारी शक्तियां मुझ में ही समाई हुई है
जो दूसरे ग्रह से आई हूं
सर्वशक्तिमान हूं
मेरी कोई इच्छा या भावना नहीं
बस दूसरों के लिए ही बनी हूं मैं
पल भर भी खुद के लिए समय नहीं
खुश रहने की हर कीमत देनी है
हर पल सबको खुश रखना है मुझे
जैसे करना है जादू मुझे
जैसे मैं एक एलियन हूं स्त्री नहीं
जन्म से ही अपेक्षाओं के बोझ से दबी
पहले भाई पिता और सदस्यों की
सेवा करना
आए बाहर से तो कोई
पानी चाय नाश्ता खाना
सब समय से देना
हर कुछ समय से हाथों में देना
पर हम तो घर में भी
और बाहर भी सभी
काम संभाल सकते हैं
बिना थके हुए
बेटी सीखती घर के सारे काम
मां के कामों में हाथ बटाना
घर परिवार में सब यही सिखाते
और जब शादी हो जाती
आती जब ससुराल
तब उससे उम्मीदें की जाती हजार
घर संभालेगी पूरा
सास ससुर की सेवा
पति और बच्चों का रखेगी पूरा ध्यान
समय पर सब को
देना होगा स्वादिष्ट खाना
और समय पर व्यंजन बनाना
बच्चों की पढ़ाई लिखाई का पूरा ध्यान
गलती अगर होगी किसी की
तो मानी जाएगी उसी की
उसकी मेहनत से अगर लायक बने
और काम करें अच्छे तो
पिता की संतान है
गुणगान उन्हीं का होगा
अगर कमी थोड़ी सी रह जाए
बच्चे करे कोई गलती तो
मां की ही है गलती
जो ध्यान नहीं दिया बच्चे पर
कितनी उम्मीद रखी जाती है एक स्त्री से
जैसे वह इंसान नहीं है कोई एलियंन
जिसके पास है जादू की शक्ति
जो कर सकती है कुछ भी
तभी तो लगता है अक्सर
मैं इंसान नहीं हूँ एक एलियन
मायका और ससुराल
कहने को तो है दो घर
पर दोनों में हूँ पराई
जैसे एक ग्रह को छोड़
दूसरे ग्रह पर आई
मैं यह बातें क्यों नहीं समझ पाई
क्यों होता है ऐसा व्यवहार
एक स्त्री के साथ
जैसे वह एक इंसान नहीं
एक एलियन हो ।।