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एक सन्देश बेटी के लिये

एक सन्देश बेटी के लिये

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मैं रहूँ ना रहूँ पर तुम्हें रहना होगा

और पाना होगा वो सब कुछ

जिसकी तुम हकदार हो

लड़ना होगा समाज से ही नहीं खुद से भी

और साबित करना होगा खुद को हर जगह हर बार

मैं कहूँ ना कहूँ पर तुम्हे कहना होगा

जो मैं ना कभी कह पाई

दूसरो के लिय क्या,खुद के लिय भी ना लड़ पाई

तुम ना सहोगी किसी के आतंक और अत्याचार

समाज के कई चेहरे तुम्हे पीछे खिचेंगे

तुम्हारी कमजोरियों को गुनाह बतायंगे

पर उन खोखली धमकियों से तुम ना डरोगी

कसम है तुम्हे,तुम डट के लड़ोगी

ढूँढोगी खुद के लिय कुछ ऐसे मक़ाम

बिन हुए किसी हार से नाकाम

बढ़ती ही रहोगी अपने पथ पर

कहो तुम मंजिल हर हाल में पाओगी

मैं आज की तरह शायद आगे तुम्हें ना बचा पाऊँ

समय निकल जाय और तुम्हें कुछ ना कह पाऊँ

तो बस बेटी हो तो ये बात समझा दूँ तुम्हें

एक ज्वाला हो,कोई विकार ना छू पाय तुम्हें

तो मीले ना कुछ विरासत में,पर मेरे संस्कार साथ हैं तुम्हारे

बस हँसना है,लड़ना है और फिर आसमां साथ है तुम्हारे।


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