एक प्यार की दास्तां ऐसी भी
एक प्यार की दास्तां ऐसी भी
आज का जमाना कितना बदल गया,
सच्ची मोहब्बत पर भी इंसान को शक हो गया।
जो कल तक था दिल के बेहद क़रीब,
आज वो बाबू सोना काला हो गया।
अज़ीब मोहब्बत है आपकी मोहतरमा,
जब माँ-बाप व माशूका में किसी एक को चुनना हुआ,
तो बेवफ़ाई का इल्ज़ाम लगा दिया।
जिसने एक मासूम को दुनिया दिखायी,
उसका माँ-बाप को चुनना बेवफ़ाई हो गयी।
काश ! आपने उसकी सच्ची मोहब्बत को वक़्त दिया होता,
आप तो ख़ुद ने न चुनने मात्र से ही तिलमिला गयी।
प्रेम सीखना है तो मेरे कान्हा से सीखिये,
प्रेम करके वो तो 'राधे' हो गये।
काश ! ये बात आपकी समझ में आता,
प्रेम में न जाने कितने लोग एक हो गये।
मुझे पता है एक फूल को कितने काँटों से गुजरना पड़ता,
उनकी चुभन को सहना आसां नहीं होता।
पर प्रेम की राह आसां कब थी,
काश ! कभी ख़ुद को उसकी जगह रखकर सोचा होता।