एक परी आसमा की
एक परी आसमा की
एक नायाब तोहफा खुदा का,
एक परी आसमान की,
एक परी खूबसूरत सी,
एक परी इस जहान की।
मां बाप की नन्ही परी,
घर की शोभा बढ़ाती है,
दीपक दो कुलों का,
प्रकाश फैलाती है।
खुद शिक्षित हो तो,
पीढ़ी भी पढ़ लेती है,
एक परी जो हर दुखों से
स्वयं ही लड़ लेती है।
एक परी परिवार का नाम
रोशन करती है,
एक परी बन फूल गुलजार,
गुलशन करती है।
कुछ दरिंदे हो गए हैं,
पैदा इस जमाने में,
पड़ गए हैं दिन रात,
पीछे नोच खाने के।
परी नही सुंदरता मूरत,
अब उनको बतलाना होगा,
रौद्र रूप हैं दुर्गा काली का,
अब उनको दिखलाना होगा।
करता सचिद पुकार यार,
परियों का सम्मान करो,
पुरुष तुम गर कहते खुद को,
पौरूषता न बदनाम करो।
