कुछ ऐसा ही ख्वाब सजाना तुम
कुछ ऐसा ही ख्वाब सजाना तुम
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
कुछ ऐसा ही ख़्वाब सजाना तुम,
कि मेरे हर ख्वाब में आना तुम।
तुम बिन ये जिस्म अंधेरा लगे ,
आके ऐ चांद इसे चमकाना तुम।
मन के फूल मुरझाए से लगते हैं,
ऐ गुलाब मेरे इसे महकाना तुम।
रंग बिरंगा चंचल दिल है तितली सा,
खींच ओर अपनी इसे चिपकाना तुम।
सुनने को बेताब हैं तेरे मीठे स्वर को,
आके रात चुपके कानों में बताना तुम।