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Sachhidanand Maurya

Abstract

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Sachhidanand Maurya

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जो टूटे न वो बंधन है (विवाह)

जो टूटे न वो बंधन है (विवाह)

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शीतल सा ,यह चंदन है,

यह दिलों का कुंदन है,

जोड़ी रब ने है बनाई,

जो टूटे न वो बंधन है।


यह गंगा का शीतल जल,

यह भावों का स्नेह प्रबल,

इसमें शामिल दो परिवार,

यह मुख चांद का उज्ज्वल।


कुछ लोग स्वार्थ से नाता रखते,

पावनता को कलंकित करते,

विश्वास को देते हैं तोड़ फिर,

फिर बंधन अपमानित करते।


दिल का रिश्ता दिल को पढ़िए,

मत गलत राह के राही बनिये,

वचन साथ जो लिए निभाओ,

कोई परेशानी हो तो कहिए।


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