टूट जाते हैं तख्तों ताज रब के आगे
टूट जाते हैं तख्तों ताज रब के आगे
टूट जाते हैं तख्तों ताज रब के आगे,
मिट जाते हैं सारे राज रब के आगे,
कितना आलीशान महल बना ले तू,
हो जायेंगे जल के राख रब के आगे।
तेरी झूठी शान पे तुमको नाज बहुत है,
तेरी बोलती और तेरी आवाज बहुत है,
तू उड़ ले बेशक परिंदे आसमां में खुले,
भूल मत नजर रखने वाले बाज़ बहुत हैं।
कर कमाई यहां पर बस नाम की,
पाएगा मुक्ति बेशक तू हर धाम की,
कर भलाई मत कर कमाई दौड़ में,
जिंदगी सुबह शुरू खत्म शाम की।