सफ़लता उन्हीं के कदम चूमती है
सफ़लता उन्हीं के कदम चूमती है


जीवन की बगिया में
जिनके मेहनत की
कोयल कूजती है,
जिनके हौसलों के,
परिंदो की उड़ान,
आसमा गूंजती है,
संभलते हैं जो,
ठोकरों से गिर,
होते बाज़ीगर वो,
उनको ही मिलती,
मिलती है यारों,
सफ़लता उन्हीं के,
कदम चूमती है।
जो बारिश में भीगते,
जो पसीने से सींचते,
फसल ज़िंदगी के,
जो रहते दुःखी,
औरों के गम में,
और बांटते हैं,
फल खुशी के,
पता उन्हीं का,
पूछते हुए ही,
आती है मंजिल,
मिलने नदी से।
ईमान की जो,
लिखता ईबारत,
करता सभी से,
जो है मोहब्बत,
हकदार वही है,
इस ताज का,
वो ही तो सच में,
मिलती है उनको,
दुनिया में शोहरत।