एक कथा: माँ सीता (हनुमंत मिलन तथा लंका विजय)
एक कथा: माँ सीता (हनुमंत मिलन तथा लंका विजय)
निराशा के गहरे साए में,
जब राम लखन थे डूब गए,
हनुमान मित्रवर रूप मिले,
वन कुंजन में सिय को ढूँढने लगे,
लंका में सिय का पता लगाया,
राम मुद्रिका को सिय तक पहुंचाया,
स्वर्णमयी लंका को पलों में,
अग्निशिखा सम भस्म बनाया,
राम के आदेश को पाकर,
वानर सेना भी तब एक बनायी,
पत्थर का पुल बना समुद्र पर,
कर दी लंका पर घनघोर चढ़ाई,
युद्ध घनघोर हुआ धरती पर,
खग विहग सभी विलाप करें,
एक पक्ष में वानर और,
दूजे पक्ष असुर आलाप करें,
विजयी हो गए राम लखन,
रावण मृतप्राय धरा पर पड़ा हुआ,
दिवस मनोहर फिर आया जब,
राम सिया का मिलान हुआ,
पर कैसी विचित्र परीक्षा तब,
राम ने सिय सम्मुख रख दी,
राम के सम्मान की ख़ातिर,
सीता ने भी अग्निपरीक्षा दे दी।।