दुश्मन
दुश्मन
दुश्मन तो कोई नहीं इस जहाँ में अपना l
बस कुछ लोगों से मेरे विचार नहीं मिलते हैं l
तोड़ा तो बहुत मेरी उम्मीदों को बेरुखी ने l
जिद्दी हैं हर बार एक नई उम्मीद लगा लेते हैं l
नाहक क्यों परेशान रहें चार दिन की जिंदगी में l
दुश्मनी में क्या रखा, हम दोस्ती का मजा लेते हैं l
इस शहर में रस्मों रिवाज, हालात अलग से हैं अनु l
अजीब दस्तूर जमाने का मुस्कुराने की सजा देते हैं l
अहम किस बात का करूं शून्य सा अस्तित्व मेरा l
जो भी मिले प्यार से हम उसको गले लगा लेते हैं l
गमगीन सी सूरत में क्यों फिरे महफिल में अनु l
मुफ्त में मिलती मुस्कुराहट होंठों में सजा लेते हैं l
कोई फन हम में कहाँ हम कोई फनकार नहीं l
यूं ही बेख्याली में कुछ गीत गुनगुना लेते हैं l
किसी ने कभी अश्क बहाते हमें देखा नहीं l
दिल का दर्द अनु मुस्कुरा कर छुपा लेते हैं l
हमसे दुश्मनी रखें कोई, ऐसा हमने सुना नहीं l
हुनर है हममें दुश्मनों को भी दोस्त बना लेते हैं l
बे तकल्लुफ से यूं देखा ना करो हमें अनु l
हम नैनों के बाण से घायल कर सजा देते हैं l