STORYMIRROR

Dr. Anu Somayajula

Tragedy

4  

Dr. Anu Somayajula

Tragedy

दस्तरख़्वान

दस्तरख़्वान

1 min
359

शाही दस्तरख़्वान रहे

या पंचसितारा होटल का 

पिज्जा, बर्गर

चाट पकौड़ों का हो ठेला 

या नुक्कड़ वाले राम भरोसे के टप्पर की

छोले, पूरी, चाय का प्याला 


कितने कितने स्वाद निराले

मन को भाते, ललचाते हरदम

पर जाने अनजाने 

जीवन रेखा को कर जाते हैं कम


अब अस्पताल के चक्कर कटते

दवाओं की पर्ची फटती

सुई की नोक के ऊपर

जिंदगी की गाड़ी टिकती


फर्क समझ पाते

यदि खाने को जीने या जीने को खाने का

जीवन की यूं डोर न चुकती



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy