दिन दिन बढ़ती जा रही
दिन दिन बढ़ती जा रही
दिन दिन बढ़ती जा रही, दुनिया में तकलीफ।
तरह तरह के रोग से, मिले नहीं तारीफ।।
दिन दिन बढ़ती जा रही,सब चीजों की मूल्य।
आफत यह है जो बड़ा, जीवन जैसे शूल्य।।
दिन दिन बढ़ती जा रही, लोगों में व्यभिचार।
मानवीय गुण में कमी,नहीं रहा अब प्यार।।
दिन दिन बढ़ती जा रही,कुत्सित भरे विचार।
भाई भाई में रोष है,टूट रहा परिवार।।
दिन दिन बढ़ती जा रही, वसुंधरा पर पाप।
रिश्तों में भी दोष है, जैसे कोई शाप।।