दिल तुमको चाहने लगा है
दिल तुमको चाहने लगा है
वक्त जो गुजर गया उस पर चिंतन करो
अब उन्हें अप्रासंगिक हो जाने दो
जो रंग तुम्हारे दिल को भाता है
आज मुझे भी उसी रंग में रंग जाने दो
तुमको स्पर्श करने से पहले ही
तुम्हारे आकर्षण का पागलपन
मुझे कंपा देता है, सहम जाता हूँ
बेकरार अहसासों का कंपन
मेरे कानों में गूंजता है
तुम्हारे साँसों की मादक ख़ुशबू
मुझे किसी का का दीवाना बना देती है
पास तुम्हारे आते ही, तुम्हारी धड़कनों की
रफ़्तार बेकाबू हो जाती है
इन नयनों की मधुशाला अक्सर करती हैं मजबूर
प्यार की हदों स निकलने को
मेरा पागलपन है या दीवानापन कि
पहले से अधिक चाहने लगा हूँ तुमको
रात सोने से पहले, ख्यालों में मेरे आना
तुम्हारे ही ख़्याल तैरते नज़र आएंगे
सिर्फ एक बार कह दो कि
रात जब आऊंगा चोर बनकर
खिड़की के पट खोलकर रखोगी

