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Saraswati Aarya

Romance

4  

Saraswati Aarya

Romance

दिल की खिड़की

दिल की खिड़की

1 min
261


आज इस दिल की खिड़की में

कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं

इन्होंने झकझोरा है सपनों की डाली को

हकीकत के पन्ने हिलाये हैं


गाने लगे हैं प्रीत के गीत

शायद खत्म इंतजार का संदेशा लाये हैं

आज इस दिल की खिड़की में

कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं

अंजानी सी है इनकी भाषा

फिर भी कई अरमान कानों को सुनाये हैं


मेरे सवालों पर खामोश हैं सारे

पर स्वयं उत्तर बन आये हैं

आज इस दिल की खिड़की में

कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं


मैं सोचती थी

पतझड़ था मेरे हृदय का कोना

ये कौन से फूल सुगन्ध बिखराये हैं

ये अकेले नहीं तन्हा यार हैं

संग भंवरे भी बुलाये हैं

आज इस दिल की खिड़की में

कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं


इनके आने से मेरे अरमान मुस्काये हैं

डर लगता है

कहीं ये उड़ न जाये

दिल की खिड़की में मैंने

कोई दरवाजे न बनाये हैं

आज इस दिल की खिड़की में

कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं।


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