दिल की खिड़की
दिल की खिड़की
आज इस दिल की खिड़की में
कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं
इन्होंने झकझोरा है सपनों की डाली को
हकीकत के पन्ने हिलाये हैं
गाने लगे हैं प्रीत के गीत
शायद खत्म इंतजार का संदेशा लाये हैं
आज इस दिल की खिड़की में
कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं
अंजानी सी है इनकी भाषा
फिर भी कई अरमान कानों को सुनाये हैं
मेरे सवालों पर खामोश हैं सारे
पर स्वयं उत्तर बन आये हैं
आज इस दिल की खिड़की में
कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं
मैं सोचती थी
पतझड़ था मेरे हृदय का कोना
ये कौन से फूल सुगन्ध बिखराये हैं
ये अकेले नहीं तन्हा यार हैं
संग भंवरे भी बुलाये हैं
आज इस दिल की खिड़की में
कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं
इनके आने से मेरे अरमान मुस्काये हैं
डर लगता है
कहीं ये उड़ न जाये
दिल की खिड़की में मैंने
कोई दरवाजे न बनाये हैं
आज इस दिल की खिड़की में
कुछ पंछी फड़फड़ाये हैं।