क्या यही कविता है?
क्या यही कविता है?
जिसमें प्रकृति के सुंदर नजारे हो
जिसमें सारे अल्फाज प्यारे - प्यारे हो
जिसमें कल्पनाओं और आकांक्षाओं के इशारे हो
जिसमें कोई गैर नहीं सब हमारे हो
जिसमें ढलते लाल सूरज का जिक्र हो
जिसमें मासूम से बच्चे के लिए ममता की फिक्र हो
जिसमें जिंदगी की खूबसूरत सी यादें हो
जिसमें सावन की कुछ रिमझिम सी बरसातें हो
जिसमें सपनों की दुनिया संसार हो
जिसमें सपने होकर भी हकीकत की भरमार हो
जिसमें पंक्तियाँ बन जाती बेमिसाल हो
जिसमें प्रकृति का हर तत्व खुशहाल हो
जिसमें कुछ तेरा न मेरा हो
जिसमें सिर्फ अपनेपन का बसेरा हो
जिसमें सोच विचार की गहनता हो
जिसमें ऊँचे इरादे और इरादों में प्रबलता हो
जिसमें हर धर्म हर समुदाय के लिए समान प्यार हो
जिसमें पतझड़ के बाद आती बसंत की बहार हो
जिसमें जो भी लिखा जाये वो
हर दिल के आर - पार हो
जो हर एक के लिए यादगार हो
क्या यही कविता है?
क्या यही कविता है?
