STORYMIRROR

Rahul JERRY

Romance Classics Fantasy

4  

Rahul JERRY

Romance Classics Fantasy

Ishq ke sawal

Ishq ke sawal

1 min
510

क्या रक्खा हुआ है इश्क़ के जंजालों में

अव्वल दर्जे के छात्र भी उलझ पड़े, इन सवालों में


मैं भी एक मुर्दे की तरह कैद में हूं,

फर्क इतना, वो कब्र में है, मैं किसी के ख्यालों में


खुदा ने सूरजमुखी के साथ वो चहरा बनाया है दोस्त

होश खुद–ब–खुद होश खो देता है ,उसके उजालों में


असल नशा तो उसकी निगाओं में था साकी

हम बे–अक्ल लोग ढूंढ़ते रहे शराब के प्यालों में


मेरी गजलों को तो अच्छा होना ही था jerry

वो एक बोसा देती है, शेर की मिसालों में।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Rahul JERRY

Similar hindi poem from Romance