दिल ए दर्द
दिल ए दर्द
इस टूटे दिल के साथ
रातों में तन्हाई है
पूर्णिमा की रात में मेरी
रुह दर्द से नहाई है
कोई ऐसी दवा बताओ
जो उसे भुला जाए
करो दुआ की एक दिन
यह मौत मुझे सुला जाए
मैंने दम तोड दिया और
उसके हाथों में मेहंदी रची है
मेरे जनाजे की तैयारियां हो
रही है उसकी डोली सजी है
मुझे समसान लेकर जाएगे
दिन के उजाले मे और उसकी
डोली जाएगी तारों की छांव में
अरे उसके तो दिल में ही थी
हम मौत ढूंढते रहे उसके पांव में।