मुसकुराने लगे हैं
मुसकुराने लगे हैं
हम भी गुजरे थे कभी बनारस
जैसे इश्क़ के शहर से
चाहकर भी हम बच ना पाए
मोहब्बत के कहर से
ना जाने बनारस से मेरे दिल ने
कैसा रिश्ता जोड़ा है
यहाँ आने के बाद ही दर्द ने मेरा
पीछा करना छोड़ा है
हम बनारस की गलियों में जाकर
गुनगुनाने लगे हैं
भुला कर अपना हर दर्द हम भी
मुसकुराने लगे हैं
खुशबू भी फिकी हो गई है फूलों
की कलियों से
महक जाता हूँ जब इश्क़ की हवा
आती है गलियों से
इस दिल को उसके लिए ही धड़कना
गवारा हो गया
तन्हाई में खामोश रहने वाला दिल भी
आज आवारा हो गया
तोड़ कर अपनी चुप्पी हम भी अपने
दिल का हाल सुनाने लगे हैं
भुला कर अपना हर दर्द हम भी
मुसकुराने लगे हैं।।

