बनारस की हवाएँ
बनारस की हवाएँ
हम दोनों ऐसे ही
धीरे धीरे इश्क़ की
सीढ़ियां चढते गए
एक दुजे को पाने के
लिए अपने मूक्दर
से लडते गए
एक दिन हम दोनों
अपने दिल के एहसास
इक दूजे को कह गए
ऐसे मिले दो दिल की
बनारस के हर घाट हमारे
इश्क़ के गवाह बन गए
आज भी मोहब्बत की उन
प्यारी सी यादों में सब कुछ
भुला कर खो जाते हैं
न जाने इस दिल का बनारस
से क्या नाता जुड़ गया है कि हम
हर बार उसी के हो जाते हैं।