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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Classics Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Classics Fantasy

मुहब्बत का इंद्रधनुष

मुहब्बत का इंद्रधनुष

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दिल में सजने लगा है मुहब्बत का इंद्रधनुष 

अरमानों के रंगों की महफिल खुलने लगी है।


दिल की धरा पे चाहत की कोंपलें उगने लगीं 

ख्वाबों में तेरे इश्क़ की डोली मचलने लगी है 


पहली नजर का पहला वार घायल कर गया

मैं तो तेरी एक मुस्कान पर ही हाय, मर गया 


मेरी आहों में छिपे दर्द को महसूस कर जाना

फिर ना कहना, कोई तुझे बदनाम कर गया।


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