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Sidhant Rao

Fantasy Others

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Sidhant Rao

Fantasy Others

कविता

कविता

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तुमपर मरकर भी जिंदा है उसके लिए इनाम रख दो

 मुझे घुरने से पहले आँखों में काजल रख दो


 ये खन खन का शोर किसी और को ना भा जाए 

ऐसा करो अलमारी में कहीं छुपाकर पायल रख दो


 मौत आती है तो कौन रखता है नजदीकियाँ जानी

 अगर हो जाऊँ घायल तो अपनी झोली में घायल ही रख दो


 मेरी मौत पर ज्यादा ख़र्चा करने की कोई जरूरत नहीं 

पुराना ही सही मेरे बदन पर तुम्हारा आँचल रख दो 


तुम्हारी खुशी ही सबकुछ है मेरे लिए हो कभी ग़म तो 

बेशक मेरी आँखों में तुम्हारी आँखों के सजल रख दो 


तुझे देखने के बाद ऐसा लगा जिंदगी जीनी चाहिए

इश्क़-ए-जाम पियो और सात जन्म सिद्धांत को क़ायल रख दो


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