लगाना आंखों में काजल ये ख़ुमार जैसी है नज़र से फिर नज़र मिलाना बेकरार जैसी है लगाना आंखों में काजल ये ख़ुमार जैसी है नज़र से फिर नज़र मिलाना बेकरार जैसी है
सगे तुम न बदलना, जमाना गर जाय बदल। सगे तुम न बदलना, जमाना गर जाय बदल।
मेरी मौत पर ज्यादा ख़र्चा करने की कोई जरूरत नहीं मेरी मौत पर ज्यादा ख़र्चा करने की कोई जरूरत नहीं